अशफाक उल्लाह खां मेमोरियल शहीद शोध संसथान
किये थे काम हमने भी जो कुछ भी हमसे बन पाए, ये बातें तब की हैं आज़ाद थे और था शबाब अपना; मगर अब तो जो कुछ भी हैं उम्मीदें बस वो तुमसे हैं, जबां तुम हो, लबे-बाम आ चुका है आफताब अपना। - अशफाक उल्लाह खां
अशफाक उल्लाह खां मेमोरियल शहीद शोध संसथान की स्थापना 19 दिसंबर सन 1998 को फैजाबाद जेल में फांसी के फंदे को चूमने वाले अमर शहीद अशफाक की याद में की गयी थी। यह एक सामाजिक संसथान है, जिसका उद्देश्य लोगों को शहीदों और उनके द्वारा दी गयी कुर्बानियों से रूबरू कराना है। आज आजादी के इतने वर्षों बाद शहीदों को लगभग भुला दिया गया है ऐसे में यह संसथान उनकी यादों को सजोने एवं सहेजने का काम कर रहा है। हम शहीदों द्वारा देखे गए आदर्श भारत के निर्माण के सपने को पूरा करने की ख्वाहिश रखते हैं, और हम यह अच्छी तरह जानते हैं कि ऐसे भारत के निर्माण का सपना तभी साकार हो सकता है जब देश उन आज़ादी के दीवानों के विचारों को समझने की कोशिश करेगा; उन्हें अपनायेगा। हम अपनी युवा पीढ़ी के बेडरूम में शहीदों का फोटोग्राफ देखना चाहते हैं ना की कुछ ऐसे लोगों का जिनका काम केवल ज्वलंत मुद्दों पर रोटी सेंकना है। हम अपनी युवा पीढ़ी के ज़ेहन में वाही जोश और जुनून देखना चाहते हैं जो शहीद अशफाक उल्लाह, शहीद भगत सिंह, चंद्रशेखर आज़ाद, राम प्रसाद बिस्मिल, रोशन सिंह, राजेंद्र लाहिड़ी, सुखदेव और राजगुरु जैसे ना जाने कितने क्रांतिकारियों में था। वाही आग इस देश को फिर से पटरी पर वापस ला सकती है। यह संसथान हमारा एक छोटा सा प्रयास है बाकी का सारा काम देश और देशवासियों को करना है। इस देश के नागरिक इस देश की दशा और दिशा सुधर सकते हैं।